सामना टीवी से दीपांश श्रोती की रिपोर्ट

महिला थाने के परामर्श केंद्र में एक ऐसा मामला पहुंचा जिसमें पति ने पत्नी को अपने साथ रखने इंकार कर दिया है। उसका कहना है कि उसकी पत्नी को जैनेटिक बीमारी उसके ससुराल वालों ने बीमारी छिपाकर शादी की है। इधर पत्नी का कहना है कि शादी के पहले उसे पता नहीं था कि उसे कोई जैनेटिक बीमारी है। मामला परामर्श केंद्र में काउंसलिंग में है। इस मामले में विधिक सलाह ली जा रही है। 

महिला थाने में 20 अक्टूबर प्रीति शर्मा ने शिकायत की है कि उसका पति उसे साथ नहीं रखना चाहता इसलिए उसे भरण-पोषण दिलाया जाए। महिला थाने की काउंसलर रीता तुली ने बताया कि महिला की शिकायत पर जब पति गौतम शर्मा को काउंसलिंग के लिए बुलाया गया उसने बताया कि उसकी पत्नी को सिक्लिंग सेल एनिमिया नाम की बीमारी है। यह बीमारी जैनेटिक है। उसकी शादी 6 जून 2014 को हुई है। जब से यह शादी करके घर आई है तब से दवाईयों का खर्च बढ़ गया है। वह एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करता है उसका वेतन इतना नहीं है कि वह जिंदगी भर बीमारी पर लगने वाली दवाईयों का खर्च उठा सके। उसका कहना है कि इस बीमारी के बारे में रेड क्रॉस के डॉ. विनोद कोठारी, डा. धनकर और भोपाल एम्स में भी बात की। सबने कहा कि यह बीमारी ठीक नहीं हो सकती। यही नहीं उसकी पत्नी को बच्चा पैदा करने के दौरान भी काफी परेशानी झेलना पड़ेगी। इधर पत्नी का कहना है कि वह पति से अलग रहेगी, लेकिन उसे भरण-पोषण चाहिए।  तुली ने बताया कि इस मामले में विधिक सलाह और डाक्टरों से राय ली जा रही है। 

बीमारी ठीक होने में आएगा तकरीबन 80 लाख का खर्च 

सिक्लिंग सेल एनिमिया बीमारी में हीमोग्लोबिन नहीं बनता। इसके लिए आयरन फोलिक की गोलियां हमेशा लेते रहना पड़ती है। उम्र बढ़ने के साथ व्यक्ति की हार्ट, किडनी और लीवर पर भी असर पड़ता है। इस बीमारी का एक मात्र इलाज है ब्लड ट्रांसप्लांट। यह एक महंगा इलाज है इसमें तकरीबन 70 से 80 लाख का खर्च आएगा। 

डा. एम पी मिश्रा, पूर्व डीन गांधी मेडिकल कॉलेज 

यदि शादी के पहले पति या पत्नी को कोई जैनेटिक बीमारी है और उसे छिपाया गया है तो इस आधार पर तलाक के लिए आवेदन दिया जा सकता है। वहीं महिला को भरण-पोषण का अधिकार है वह पति से भरण पोषण मांग सकती है।

चंद्रशेखर तिवारी, सेवानिवृत्त डिस्ट्रिक जज

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