अस्पताल व्यक्ति शाैक से नही बल्कि जीवन संकट में अाने पर जाता है इसलिए देना हाेगी क्लेम की राशि अाैर हर्जाना उपभाेक्ता फाेरम ने यूनीवर्सल साेम्पाे जनरल इंश्याेरेंस कंपनी के खिलाफ सुनाया फैसला
सिटी रिपाेर्टर : दीपांश श्रोती
भाेपाल। इंश्याेरेंस कंपनी केवल यह कहकर मेडीक्लेम इसलिए खारिज नहीं कर सकती कि व्यक्ति के जाेड़ाे में दर्द था। काेई भी व्यक्ति शाैक से अस्पताल में भर्ती नहीं हाेता। जब जीवन पर संकट अाता है तब अस्पताल में भर्ती हाेना व्यक्ति की मजबूरी हाेती है। यह टिप्पणी उपभाेक्ता फाेरम की बेंच ने यूनिवर्सल इंश्याेरेस कंपनी अाैर उसकी टीपीए डेडीकेटड हेल्थ केयर सर्विसेंज के खिलाफ फैसला सुनाते हुए की। दरअसल इंश्याेरेंस कंपनी ने उपभाेक्ता का मेडीक्लेम यह कर खारिज कर दिया था कि जाेड़ाें का दर्द का इलाज डाक्टर से सलाह लेकर घर पर किया जा सकता है इसके लिए अस्पताल में भर्ती हाेने की क्या जरूरत है। मामले में फाेरम ने कंपनी काे क्लेम की राशि 22,497 रुपए क्लेम िनरस्त की तारीख 13 फरवरी 2014 से 9 प्रतिशत ब्याज की दर से भुगतान करें। इसके साथ अाठ हजार रुपए हर्जाना दें। मामले की सुनवाई फाेरम के अध्यक्ष अार के भावे, सदस्य सुनील श्रीवास्तव अाैर क्षमा चाैरे ने की।
उपभाेक्ता फाेरम की बेंच-1 में अशाेक विहार काॅलाेनी निवासी प्रेम कुमार वर्मा ने उपभाेक्ता फाेरम में परिवाद दायर किया। उन्हाेंने बताया कि वह मप्र राज्य सहकारी बैंक मर्यादित भाेपाल में नाैकरी करते हैं। बैंक ने कर्मचारियाें के लिए मेडीक्लेम पाॅलिसी ली। उनकाे 1 नवंबर 2013 काे जाेड़ाे में दर्द हुअा। इस पर उन्हाेंने डाॅ. दीपकजे शाह काे दिखाया। उन्हाेंने कुछ दवाईयां अाैर जांचे लिखी। उसके बाद 26 नंवबर काे उनकी जाेड़ाें में असहनीय दर्द हुअा। इस पर उन्हाेंने डाक्टर काे दिखाया। उन्हाेंने अस्पताल में भर्ती हाेने के लिए कहा। भर्ती हाेने पर इलाज के बाद उनका पूरे इलाज पर 22 497 रुपए खर्च हुए। इस पर उन्हाेंने जब इंश्याेरेंस कंपनी की टीपीए में क्लेम किया। जिसे कंपनी ने खारिज कर दिया।
अाेपीडी में हाे सकता था इलाज
कंपनी की अाेर से पक्ष रखते हुए एडवाेकेट ने कहा कि जाेड़ाे की दर्द का इलाज अाेपीडी के माध्यम से हाे सकता था। परिवादी बेवजह अस्पताल में भर्ती हुए। जाेड़ाें का दर्द एेसा नहीं हाेता कि जीवन पर संकट अा जाए। इसलिए परिवादी द्वारा दायर प्रकरण काे खारिज किया जाए।
फाेरम ने खारिज किया तर्क
मामले में सुनवाई करते हुए फाेरम ने कंपनी के तर्क काे खारिज करते हुए उपभाेक्ता काे इलाज में खर्च हुई राशि का क्लेम हर्जाना सहित देने के अादेश दिए। यह राशि कंपनी काे क्लेम करने की तारीख से नाै प्रतिशत ब्याज के साथ देने के अादेश दिए।
सिटी रिपाेर्टर : दीपांश श्रोती
भाेपाल। इंश्याेरेंस कंपनी केवल यह कहकर मेडीक्लेम इसलिए खारिज नहीं कर सकती कि व्यक्ति के जाेड़ाे में दर्द था। काेई भी व्यक्ति शाैक से अस्पताल में भर्ती नहीं हाेता। जब जीवन पर संकट अाता है तब अस्पताल में भर्ती हाेना व्यक्ति की मजबूरी हाेती है। यह टिप्पणी उपभाेक्ता फाेरम की बेंच ने यूनिवर्सल इंश्याेरेस कंपनी अाैर उसकी टीपीए डेडीकेटड हेल्थ केयर सर्विसेंज के खिलाफ फैसला सुनाते हुए की। दरअसल इंश्याेरेंस कंपनी ने उपभाेक्ता का मेडीक्लेम यह कर खारिज कर दिया था कि जाेड़ाें का दर्द का इलाज डाक्टर से सलाह लेकर घर पर किया जा सकता है इसके लिए अस्पताल में भर्ती हाेने की क्या जरूरत है। मामले में फाेरम ने कंपनी काे क्लेम की राशि 22,497 रुपए क्लेम िनरस्त की तारीख 13 फरवरी 2014 से 9 प्रतिशत ब्याज की दर से भुगतान करें। इसके साथ अाठ हजार रुपए हर्जाना दें। मामले की सुनवाई फाेरम के अध्यक्ष अार के भावे, सदस्य सुनील श्रीवास्तव अाैर क्षमा चाैरे ने की।
उपभाेक्ता फाेरम की बेंच-1 में अशाेक विहार काॅलाेनी निवासी प्रेम कुमार वर्मा ने उपभाेक्ता फाेरम में परिवाद दायर किया। उन्हाेंने बताया कि वह मप्र राज्य सहकारी बैंक मर्यादित भाेपाल में नाैकरी करते हैं। बैंक ने कर्मचारियाें के लिए मेडीक्लेम पाॅलिसी ली। उनकाे 1 नवंबर 2013 काे जाेड़ाे में दर्द हुअा। इस पर उन्हाेंने डाॅ. दीपकजे शाह काे दिखाया। उन्हाेंने कुछ दवाईयां अाैर जांचे लिखी। उसके बाद 26 नंवबर काे उनकी जाेड़ाें में असहनीय दर्द हुअा। इस पर उन्हाेंने डाक्टर काे दिखाया। उन्हाेंने अस्पताल में भर्ती हाेने के लिए कहा। भर्ती हाेने पर इलाज के बाद उनका पूरे इलाज पर 22 497 रुपए खर्च हुए। इस पर उन्हाेंने जब इंश्याेरेंस कंपनी की टीपीए में क्लेम किया। जिसे कंपनी ने खारिज कर दिया।
अाेपीडी में हाे सकता था इलाज
कंपनी की अाेर से पक्ष रखते हुए एडवाेकेट ने कहा कि जाेड़ाे की दर्द का इलाज अाेपीडी के माध्यम से हाे सकता था। परिवादी बेवजह अस्पताल में भर्ती हुए। जाेड़ाें का दर्द एेसा नहीं हाेता कि जीवन पर संकट अा जाए। इसलिए परिवादी द्वारा दायर प्रकरण काे खारिज किया जाए।
फाेरम ने खारिज किया तर्क
मामले में सुनवाई करते हुए फाेरम ने कंपनी के तर्क काे खारिज करते हुए उपभाेक्ता काे इलाज में खर्च हुई राशि का क्लेम हर्जाना सहित देने के अादेश दिए। यह राशि कंपनी काे क्लेम करने की तारीख से नाै प्रतिशत ब्याज के साथ देने के अादेश दिए।
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