भोपाल- राप्र : किला इस्लाम नगर राजधानी भोपाल का आधार सूत्र रहा है जो अब पुरातत्व विभाग की देखरेख मे है लेकिन जो देख ही नही रहा है वो रेख अर्थात रछा किस पृकार करेगा?
पिछले कुछ दिनो से किले की दिवारों को कतिपय तत्वो द्वारा तोड़ा जा रहा है! क्या ये सरकार के आदेश से किया जा रहा है,अथ्वा पुरातत्व विभाग का कोई अधिकारी सांप्रदायिक विद्वेश मे एसा आर्डर किया गया!समाज सेवी कार्यकर्त्ता शरीक़ शीरीन ने मज़दूरों से पूछा तो उनहोने कहा कि साहब जो कहत रहे वही किया!गांव वालो का कहना है की एक साहब कहत रहे कि केंद्र मे कांग्रेस सरकार बनने से पहले जे कर डारो!
ये कोई नई बात भोपाल मे पुरातत्व और सरकार दोनोउन एतिहासिक इमारतो को मिटने दिया है जिसमे नवाबों बेग़मो का नाम आता है! जबकि ये इन इमारतो की रछा करना सरकार का दायित्व है ये देश की शान बढाने वाली इमारते है मगर विद्वेश का शिकार बनाई जा रही है और किले की दिवार ढाई जा रही है! कुछ भू माफिया भी यहॉ सक्रीय है| चुनाव के चलते इतनी लचर सुरछा प्रशनचिन्ह खड़े करती है?
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